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Kitchen Garden

हर सब्जी के साथ उपयोग होने वाले आलू को घर पर उगाने का आसान तरीका क्या है?

हर सब्जी के साथ उपयोग होने वाले आलू को घर पर उगाने का आसान तरीका क्या है?

कोई भी व्यक्ति अपने घर में आलू का उत्पादन करके काफी धन की बचत कर सकता है। ये एक ऐसी सब्जी है, जिसका इस्तेमाल प्रत्येक सब्जी में किया जाता है। आलू एक ऐसी सब्जी है, जिसका उपयोग हर घर में किया जाता है। ये भारत के घरों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल में आने वाली सब्जी भी है। आलू की सब्जी घरों में विभिन्न प्रकार से बनती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप इसे घर में भी उगा सकते हैं। इसे घर पर लगाने के बाद बाजार से आलू खरीदकर लाने का झंझट ही खत्म हो जाएगा, आइए जानते हैं इसे घर में लगाने का आसान तरीका। 

आलू उगाने के समय इन बातों का विशेष ध्यान रखें 

यदि आप अपने घर पर ही आलू उगाना चाहते हैं, तो आप अच्छे बीजों का चुनाव करें। आलू उगाने के लिए आप सर्टिफाइड बीजों का ही चयन करें। इसके अतिरिक्त आप आलू को भी बीज के तोर पर उपयोग कर सकते हैं। अगर आप आलू का उपयोग कर रहे हैं, तो आप सफेद बड्स अथवा फिर स्प्राउट्स नजर आने वाले बीजों को इस्तेमाल में लें। इस कारण से शीघ्र ही पौधे निकल आऐंगे। ये भी पढ़ें:
आलू की खेती से संबंधित विस्तृत जानकारी आलू या फिर किसी भी बाकी फसल की खेती में मृदा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके लिए आप शानदार मृदा लें उसमें बेहतर ढंग से खाद डालें। आप इसके लिए 50 प्रतिशत मिट्टी, 30 प्रतिशत वर्मी कम्पोस्ट एवं 20 फीसदी कोको पीट का उपयोग कर सकते हैं। आप इन समस्त चीजों को मिलाकर एक बड़े गमले में लगा दें।

आलू को घर पर बेहतर ढ़ंग से उगाऐं 

आलू के अंकुरों को गमले, कंटेनर अथवा क्यारी में मृदा के नीचे 5-6 इंच नीचे दबा दें। ऊपर से सही ढक कर पानी डाल दें। आप बाजार में बड़े गमले, ग्रो बैग, घर पर कोई पुरानी बाल्टी अथवा कंटेनर का भी उपयोग कर सकते हैं। आलू के अंकुरों को गमले, कंटेनर या क्यारी में मृदा के नीचे 5-6 इंच नीचे दबा दें। ऊपर से सही तरीके से पानी डाल दें। आप बाजार में उपलब्ध ग्रो बैग, बड़े गमले, घर पर कोई पुरानी बाल्टी अथवा कंटेनर भी उपयोग कर सकते हैं। 
किसान भाई किचन गार्डनिंग के माध्यम से सब्जियां उगाकर काफी खर्च से बच सकते हैं

किसान भाई किचन गार्डनिंग के माध्यम से सब्जियां उगाकर काफी खर्च से बच सकते हैं

किचन गार्डनिंग के माध्यम से आप भी घर में ही सब्जियों को उगा सकते हैं। यह सब्जी शुद्ध होंगी साथ ही बाजार से इन्हें खरीदने का झंझट भी समाप्त हो जाएगा। महंगाई के दौर में आप घर में ही सब्जियों की पैदावार कर सकते हैं, जिससे आप काफी रुपये बचा सकते हैं। ये सब्जियां घर में थोड़ी जगह में ही उग जाती हैं, जिसमें आपकी ज्यादा लागत भी नहीं आती है। विशेषज्ञों की मानें तो बालकनी में सब्जियां पैदा करने के दौरान आपको कुछ विशेष बातों का ख्याल रखना होता है, जिससे कि आप कम लागत में शानदार पैदावार अर्जित कर सकते हैं। आपको आसमान में पहुंचे टमाटर के भाव तो याद ही होंगे, इसी प्रकार की परेशानियों से संरक्षण के लिए आप किचन गार्डनिंग की मदद ले सकते हैं। इसमें आप टमाटर, मिर्च, भिंडी अथवा धनिया के अतिरिक्त बहुत सारी और सब्जियां भी उगा सकते हैं। इसके लिए मिट्टी से भरे कुछ गमले एवं धूप जरूरी है।

किसान भाई बड़े गमलों के अंदर ही रोपाई करें

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि अधिकांश सभी के घर की बालकनी में धूप आती है। ऐसी स्थिति में बालकनी में सब्जियां उगाना एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। इससे आपके घर में सदैव हरियाली बनी रहेगी। पैसे बचेंगे एवं शुद्ध सब्जियां आपको अपने घर में मिल जाएंगी। किचन गार्डनिंग के दौरान इस बात का विशेष ख्याल रखें कि सब्जियों के पौधों की रोपाई बड़े गमलों में की जाए, जिससे जड़ों को फैलने का पर्याप्त अवसर मिलता है।

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किसान भाई मौसम का विशेष ख्याल रखें

बतादें कि इसके अतिरिक्त बड़े गमले में पौधे मजबूत बनेंगे और पौधों में फल भी अच्छी मात्रा में आएंगे। विशेषज्ञ कहते हैं, कि किचन गार्डनिंग में भी मौसम का ध्यान रखना काफी आवश्यक है। बिना मौसम के लगाई गई सब्जियों से फल हांसिल कर पाना काफी मुश्किल होता है। बालकनी में खेती कर आप महीने के हजारों रुपये आसानी से बचा सकते हैं। आप स्वयं ही घर में टमाटर, भिन्डी, धनिया और मिर्च उगाकर उपयोग में ले सकते हैं। किसानों को रसोई बागवानी के विषय में जानकारी होनी काफी आवश्यक है। क्योंकि किचन गार्डनिंग के दौरान थोड़ा बहुत मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। किसानों को बेहद आरंभिक तोर पर किचन गार्डनिंग का उपयोग करना चाहिए। मौसम की वजह से किसानों को टमाटर की काफी अधिक कीमत चुकानी पड़ी।
घर पर इस तरीके से उगायें चेरी टमाटर, होगा जबरदस्त मुनाफा

घर पर इस तरीके से उगायें चेरी टमाटर, होगा जबरदस्त मुनाफा

भारत में इन दिनों खेती किसानी में लगातार नई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। जिससे देश में विदेशी फसलों की खेती भी बेहद आसानी से होने लगी है। अब किसान इन विदेशी फसलों का उत्पादन करके फसल को बाजार में आसानी से बेंच सकते हैं। भारत के बाजार में देखा गया है कि यहां विदेशी फसलों की उपलब्धता कम होती है, ऐसे में  किसानों को बाजार में उन फसलों का मनचाहा दाम मिलता है। जिससे देश के किसान नई तकनीक के द्वारा विदेशी फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं चेरी टमाटर की खेती के बारे में। यह फसल पिछले कुछ सालों से भारतीय किसानों के बीच मशहूर हो रही है। इसे आप अपने बगीचे में भी उगा सकते हैं। चेरी टमाटर की बाजार में कई किस्में उपलब्ध हैं। इनमें काली चेरी ,चेरी रोमा, टोमेटो टो, कर्रेंट और येलो पियर प्रमुख हैं।

किचन गार्डन में इस तरह से उगायें चेरी टमाटर

चेरी टमाटर को आप अपने किचन गार्डन में आसानी से उगा सकते हैं। इसके लिए आप मिट्टी के बर्तनों या गमलों का उपयोग कर सकते हैं। गमलों को तैयार करने के लिए उनकी निचली सतह पर रेत डालें। इसके बाद उसे मिट्टी से भर दें। मिट्टी के साथ वर्मी कंपोस्ट को भी डाल सकते हैं। चेरी टमाटर की बुवाई बीजों के माध्यम से होती है। जिन्हें आप अपने नजदीकी नर्सरी या कृषि बीज भंडार से खरीद सकते हैं। बीजों की गमले में बुवाई कर दें और इसके बाद उनमें समय-समय पर पानी देते रहें। ये भी पढ़े: टमाटर की खेती में हो सकती है लाखों की कमाई : जानें उन्नत किस्में चेरी टमाटर के पौधे को गर्मियों में ज्यादा तो सर्दियों में कम पानी की जरूरत होती है। इसके पौधों को बीमारियों से ज्यादा खतरा रहता है। चेरी टमाटर के पौधों में ज्यादातर फंगल इंफेक्शन का खतरा होता है। इससे बचने के लिए गमले की मिट्टी में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के घोल का छिड़काव किया जा सकता है। यह छिड़काव महीने में ज्यादा से ज्यादा 2 बार कर सकते हैं।

जल्द ही मिलने लगता है उत्पादन

बुवाई के 2 माह के भीतर चेरी टमाटर का पौधा फल देने लगता है। इसका उपयोग सब्जी के साथ-साथ दवाई के रूप में भी किया जाता है। चेरी टमाटर का उपयोग कब्ज की बीमारी में किया जाता है। साथ ही इसका उपयोग कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने में भी किया जाता है। चेरी टमाटर के उपयोग से वजन कम करने में और गठिया रोग को खत्म करने में भी मदद मिलती है।
कोकोपीट खाद किस प्रकार तैयार किया जाता है, इससे क्या-क्या फायदे होंगे

कोकोपीट खाद किस प्रकार तैयार किया जाता है, इससे क्या-क्या फायदे होंगे

आज हम आपको कोकोपीट खाद के बारे में जानकारी देने वाले हैं। यह बेहद ही मुख्य तरह से निर्मित की जाने वाली खाद होती है। इसकी वजह से हमारे पौधों में कभी भी जल की कमी नहीं होती है। 

यह नारियल के रेशों से निर्मित एक खाद है, जिसमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व शम्मिलित होते हैं। दरअसल, इस खाद के बारे में बेहद ही कम लोग जानते हैं। यह खाद बाकी खाद की तरह नहीं उससे कुछ खास होती है। 

इसे बनाने के लिए आपको कुछ सामग्रियों की आवश्यकता होगी। तो चलिए जानते हैं, कि यह खाद कौन सी है और इसका क्या नाम है साथ ही इसका उपयोग किस प्रकार किया जाता है।

कोकोपीट खाद क्या होती है

आज तक हमने जिन खादों के विषय में सुना होगा यह उनसे कुछ अलग है। वैसे इस खाद का इस्तेमाल हम बड़े इलाकों की जगह घर के बगीचों में अथवा क्यारियों में ज्यादा करते हैं। 

यह बेहद ही विशेष तरह से निर्मित की जाने वाली खाद होती है, जिसके चलते हमारे पौधों में कभी भी जल की कमी नहीं होती है। यह नारियल के रेशों से निर्मित एक खाद है, जिसमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व विघमान होते हैं।

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कोकोपीट खाद किस प्रकार से निर्मित की जाती है

इस खाद को ऐसे इलाकों पर तैयार किया जाता है, जहां नारियल भरपूर मात्रा में पैदा होता है। साथ ही, इसको निर्मित करने के लिए बेहद अधिक समय लग जाता है। इसको तैयार करने में सर्व प्रथम हम सूखे नारियल को पानी में छोड़ देते हैं। 

कुछ समय पश्चात हम एक मशीन के जरिए कोकोपीट की कटाई करते हैं। साथ ही, इसे भुरभुरा बना कर सुखा लेते हैं। सुखाते वक्त ही इनको बाजार में बेचने के लिए एक आकार दे दिया जाता है, जिससे आप इन्हें ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन जरिए बाजार से खरीद सकते हैं।

यह खाद किस तरह से लाभकारी है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस खाद को नारियल के रेशों से निर्मित किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप यह रेशेनुमा खाद होती है। जो आपके गमले अथवा बगीचे की मृदा में मिल जाने के उपरांत उस मिट्टी में पानी के अधिक बहाव को रोकती है। 

साथ ही, मिट्टी में नमी को बरकरार रखने में मददगार होती है। सिर्फ इतना ही नहीं जब यह खाद आपके गमले की मृदा में मिल जाती है, तो आप जो भी पोषक तत्व अथवा उपयुक्त खाद का उपयोग करते हैं, वह पौधों तक बड़ी सुगमता से पहुंच जाती है।

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बैक्टीरिया व फंगस और जड़ों के विकास में फायदेमंद

यह खाद जड़ों के विकास में भी काफी सहायक होती है। इसकी वजह यह है कि यह खाद बेहद ही मुलायम एवं रेशेदार होती है, जो मृदा में मिल जाने के उपरांत उसे भी मुलायम एवं भुरभुरा बना देती है। 

यही वजह है, कि छोटे पौधों की जड़ों को सुगमता से फैलाने में यह मददगार हो जाती है। बैक्टीरिया और फंगस में भी है लाभकारी। हमारे बगीचे के बहुत सारे पौधों के अंदर बैक्टीरिया और फंगस लग जाने के कारण वह कुछ ही समय में खत्म हो जाते हैं। 

साथ ही, उनकी वृद्धि में भी अवरोध पैदा हो जाता है। इस खाद में बैक्टीरिया एवं फंगस से लड़ने के भी गुण मौजूद हैं, जिसकी वजह से छोटे पौधे बेहद ही सहजता से विकास कर पाते हैं। साथ ही, आपको अलग से इसकी दवा के लिए कोई अतिरिक्त खर्च भी नहीं करना होता।